गाँव बस पांच साल में एक बार अपना हक़ मांगता है और ये हक़ हर पांच साल बाद हमको हमारा संविधान देता है कि जिस गाँव से तुम्हारी पहचान है उस गाँव के निर्माण में तुम आज भागीदारी ले सकते हो "चुनाव"
"गाँव"के नाम में ही खुबसुरती हुआ करती है जो हर किसी को प्यारी है चाहे वो गाँव का किसान हो या किसी बड़े शहर का आम नागरिक । हर किसी कि गाँव पसंद बन जाता है कारण ये ही कि यहाँ सुकून है, अमन है,चैन है एक दूसरे का ख़्याल रखने वाले लोग हैं । यहाँ आसमान से लेकर मिट्टी के हर कण में समाहित खुशबू गुनगुनाते हुए सब को मोहित करती है, ये ही खुशबू सब को जोड़ कर रखती है,खुशी हो या गम सब को एक रखने का प्रयास करती है, हाँ मतभेद होते हैं जो कि जरुरत है समय कि, जिससे तालमेल बना रहे क्योंकि अति का अर्थ ही अंत है फ़िर चाहे वो आपसी प्रेम कि हो या फ़िर घृणा की । जिस गाँव में हम हैं उसी के नाम से हमारी पहचान है, गाँव ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है और आगे भी करता रहेगा बस जरूरत है तो इसकी रीड्ड कि हड्डी को मजबूत बनाये रखने कि । हम उम्र के पड़ाव में चेहरे कि सलवटो व कमर के झुकाव के साथ जरुर बुड्ढे हो जाते हैं मगर ये गाँव हमेशा जवान रहना चाहिए और जब तक हमारी सोच गाँव के प्रति रहेगी ना कि खुद के प्रति तब तक गाँव कि महक यों ही बनी रहेगी जिस गाँव ने हमें इतना कुछ दिया है वो गाँव बस पांच साल में एक बार अपना हक़ मांगता है और ये हक़ हर पांच साल बाद हमको हमारा संविधान देता है कि जिस गाँव से तुम्हारी पहचान है उस गाँव के निर्माण में तुम आज भागीदारी ले सकते हो "चुनाव"
देश कि सब से छोटी ईकाई जिसका फ़ैसला सोच समझ कर करना बेहद जरुरी है व समय कि ये ही माँग है कि जो मजबूत होगा वो ही खड़ा रहेगा
चुनाव सिर्फ़ ये तय नहीं करते कि हमारा सरपंच कौन होगा चुनाव अगले पांच साल का भविष्य तय करते हैं चुनाव तय करते हैं कि गाँव के युवाओं का भविष्य क्या होगा ?
चुनाव ही तय करते हैं कि गाँव के प्रति हमारा कितना प्रेम है |