सोमवार, 28 सितंबर 2020

धन्यवाद पोषाल .....

गाँव बस पांच साल में एक बार अपना हक़ मांगता है और ये हक़ हर पांच साल बाद हमको हमारा संविधान देता है कि जिस गाँव से तुम्हारी पहचान है उस गाँव के निर्माण में तुम आज भागीदारी ले सकते हो "चुनाव" 

"गाँव"के नाम में ही खुबसुरती हुआ करती है जो हर किसी को प्यारी है चाहे वो गाँव का किसान हो या किसी बड़े शहर का आम नागरिक । हर किसी कि गाँव पसंद बन जाता है कारण ये ही कि यहाँ सुकून है, अमन है,चैन है एक दूसरे का ख़्याल रखने वाले लोग हैं । यहाँ आसमान से लेकर मिट्टी के हर कण में समाहित खुशबू गुनगुनाते हुए सब को मोहित करती है, ये ही खुशबू सब को जोड़ कर रखती है,खुशी हो या गम सब को एक रखने का प्रयास करती है, हाँ मतभेद होते हैं जो कि जरुरत है समय कि, जिससे तालमेल बना रहे क्योंकि अति का अर्थ ही अंत है फ़िर चाहे वो आपसी प्रेम कि हो या फ़िर घृणा की । जिस गाँव में हम हैं उसी के नाम से हमारी पहचान है, गाँव ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है और आगे भी करता रहेगा बस जरूरत है तो इसकी रीड्ड कि हड्डी को मजबूत बनाये रखने कि । हम उम्र के पड़ाव में चेहरे कि सलवटो व कमर के झुकाव के साथ जरुर बुड्ढे हो जाते हैं मगर ये गाँव हमेशा जवान रहना चाहिए और जब तक हमारी सोच गाँव के प्रति रहेगी ना कि खुद के प्रति तब तक गाँव कि महक यों ही बनी रहेगी जिस गाँव ने हमें इतना कुछ दिया है वो गाँव बस पांच साल में एक बार अपना हक़ मांगता है और ये हक़ हर पांच साल बाद हमको हमारा संविधान देता है कि जिस गाँव से तुम्हारी पहचान है उस गाँव के निर्माण में तुम आज भागीदारी ले सकते हो "चुनाव" 
देश कि सब से छोटी ईकाई जिसका फ़ैसला सोच समझ कर करना बेहद जरुरी है व समय कि ये ही माँग है कि जो मजबूत होगा वो ही खड़ा रहेगा 
चुनाव सिर्फ़ ये तय नहीं करते कि  हमारा सरपंच कौन होगा चुनाव अगले पांच साल का भविष्य तय करते हैं चुनाव तय करते हैं कि गाँव के युवाओं का भविष्य क्या होगा ?
चुनाव ही तय करते हैं कि गाँव के प्रति हमारा कितना प्रेम है | 

सोमवार, 31 अगस्त 2020

मेहरबान हुए मेघराज जमकर बरसे बदरा ।

पोषाल और आसपास के क्षेत्रों में इस साल बादल रूठे रूठे से बिन बरसे ही जा रहे थे , हालांकि कहीं कहीं बरसात अच्छी हुई थी पर इतनी भी नहीं कि फसल पकने तक पर्याप्त हो । अगस्त में सक्रिय हुए मानसून ने काफी गांवों के किसानों को मायूस कीया पर उनकी मायूसी इस बार रौनक में बदल गई और रविवार शाम को 4बजे शुरू हुई बरसात देर रात 1 बजे तक चली और पिछले कई दिनों से सूखे पड़े इलाकों को तर बतर कर दिया ।

शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

बाड़मेर राजकीय चिकित्सालय में व्यवस्था सुधार के नाम पर मनमानी , भटकने को मजबूर मरीज

बाड़मेर में जिला मुख्यालय पर बने नवनिर्मित राजकीय अस्पताल में बनाए गए नियम कानून आने वाले मरीजों को काफी परेशान कर रहे है। एक और अस्पताल प्रशासन ने  वरिष्ठ नागरिकों, वृद्धजनों और महिलाओं के लिए अलग से अस्पताल के अंदर ही मुफ्त दवाइयों के वितरण के लिए दो नए काउंटर खोले वहीं दूसरी और जानकारी के अभाव में पहले से ही मौजूद पुराने अनुबंधित मुफ्त दवा वितरकों के पास जाने वाले महिलाओं और वृद्धजनों को नए काउंटर पर भेजा जा रहा है । नए बने काउंटर नंबर 1A के बाहर साफ साफ लिखा हुआ हैं महिलाओं के लिए पर वहां दवाईयां दी जा रही थी वृद्धजनों और  वरिष्ठ नागरिकों को तथा काउन्टर  नम्बर 4A के बाहर लिखा हुआ था वरिष्ठ नागरिकों के लिए पर वहां दवाएं दी जा रही थी महिलाओं को ।  1A पर जब एक महिला काफी   लंबी लाइन में लगने के बाद जब काउन्टर तक पहुुंचीं तो वहाँ खड़े  वितरक ने  दवाई देने से मना कर दिया , महिला ने काफी अनुुुरोध करने के बावजूद भी दवाइंया नही दी गई  अंत मे जब बात बहस तक  पहुँची तो उन्होंने ये कह कर मना कर दिया कि आपको जो करना है कर लो यहाँ जो हम चाहेंगे वही होगा । अस्पताल  कर्मचारियों का यही रवैया शिक्षित लोगों को   भी अनपढों की लाइन में खड़ा करता है ।