शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

ओमिक्रोन का खौफ, सरकारी अफसरों को मुख्यालय नहीं छोड़ने का आदेश

14 जनवरी, जिले में कोरोना की तीसरी लहर और ओमिक्रोन वायरस के मद्देनजर समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों, उपखण्ड अधिकारियों, तहसीलदारों को बिना अवकाश स्वीकृत करवाये मुख्यालय नहीं छोड़ेंने तथा राजकीय अवकाश के दिन भी मुख्यालय पर ही उपस्थित रहने को कहा गया गया।
जिला कलक्टर लोक बंधु ने बताया कि कोविड के नये वैरिएन्ट ओमिक्रोन के संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों की रोकथाम एवं बचाव हेतु महामारी सतर्क-सावधान जन अनुशासन दिशा निर्देश जारी किये गये है जिसकी पालना में वर्तमान में बाड़मेर जिले में कोविड-19 की तीसरी लहर के केस पुनः तीव्र गति से बढ़ने के कारण कोविड वैक्सीनेशन के अधिकतम योग्य लाभार्थियों को लाभान्वित करने एवं संक्रमण के प्रभाव को नियंत्रित रखने के मद्देनजर समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों, उपखण्ड अधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देशित किया गया है कि वे जिला कलक्टर से बिना अवकाश स्वीकृत करवाये मुख्यालय नहीं छोड़ेगे। राजकीय अवकाश के दिन भी मुख्यालय पर ही उपस्थित रहेंगे। अवकाश स्वीकृत होने पर अवकाश पर रहने के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था होने पर ही प्रस्थान करेंगे।
उन्होने समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे जिला कलक्टर की अनुमति प्राप्त किये बिना अथवा अत्यावश्यक होने पर अतिरिक्त जिला कलक्टर की बिना अनुमति प्राप्त किये अपना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। साथ ही अपने अधीनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी पाबन्द करेंगे कि वे संबंधित नियंत्रण अधिकारी से पूर्वानुमति प्राप्त करने के पश्चात् ही अपना मुख्यालय छोड़ेगे। आदेश की अवहेलना किये जाने पर संबंधित अधिकारी के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जावेगी।

मंगलवार, 11 जनवरी 2022

कोविड उपयुक्त व्यवहार नहीं करने पर लगेगा दंड मास्क नहीं पहनने पर लगेगा एक हजार रुपये का जुर्माना

बाड़मेर, 11 जनवरी। राज्य सरकार द्वारा जारी की गई कोविड गाईड लाईन एवं महामारी सतर्क-सावधान जन अनुशासन दिशा-निर्देशों की अवहेलना करने पर दण्डात्मक प्रावधान निर्धारित किया गया है।
  जिला कलक्टर लोक बंधु ने बताया कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक या कार्यस्थल पर फेस मास्क या फेस कवर नहीं पहने हुए होंगे तो उनसे 1 हजार रुपये जुर्माना राशि वसूली की जाएगी। इसी प्रकार किसी भी दुकानदार द्वारा बिना फेस मास्क के वस्तु विक्रय करने पर 500 रुपये जुर्माना राशि वसूल की जाएगी।
जिला कलक्टर ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो सार्वजनिक स्थान पर सामाजिक दूरी बनाकर नहीं रहेगा तो 100 रुपये, सार्वजनिक स्थान पर थूंकने पर 200 रुपये, सार्वजनिक स्थान पर किसी भी व्यक्ति द्वारा शराब, पान, गुटखा, तम्बाकू का उपभोग करते हुए पाए जाने पर 500 रुपये की जुर्माना राशि वसूल की जाएगी।
  इसी प्रकार आयोजकों द्वारा सार्वजनिक, सामाजिक, राजनैतिक, खेलकूद सम्बन्धी, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक समारोह/त्यौहार/शादी समारोह में अधिकतम 100 (नगर निगम/नगर पालिका क्षेत्रों में 30 जनवरी तक 50) व्यक्तियों से अधिक के सम्मिलित होने पर 10 हजार रुपये तथा मैरिज गार्डन/विवाह स्थल के स्वामी, प्रबन्धक एवं अधिभोगी द्वारा उपरोक्त समारोह में अधिकतम 100 (नगर निगम/नगर पालिका क्षेत्रों में 30 जनवरी तक 50) व्यक्तियों से अधिक सम्मिलित होने पर 10 हजार रुपये जुर्माना राशि वसूल की जाएगी।
उन्होंने बताया कि कोई व्यक्ति लोक परिवहन सेवा तथा ऑटो, रिक्शा, बस, ट्रेन आदि में फेस मास्क या फेस कवर नहीं पहननें पर 500 रुपये तथा सभी कार्यस्थल पर कार्य अवधि के दौरान नियमित रूप से सेनेटाईजेशन तथा सामाजिक दूरी की पालना नहीं कराई जाने पर 10 हजार रुपये जुर्माना राशि सम्बन्धित प्राधिकृत अधिकारी द्वारा वसूल की जाएगी।

शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

शिव प्रधान महेंद्र जाणी ने दिया मानवता का परिचय, ठंड में अलाव तापते परिवार को दी सामाजिक कार्यक्रम में ओढाई हुई कंबलें ।

 

 शिव प्रधान महेंद्र जाणी शुक्रवार शाम जब अपनी गाड़ी से गुजर रहे थे इस दौरान उनकी नजर पीजी कॉलेज के आगे एक गरीब परिवार पर पड़ी । सर्दी से बचने के लिए वह परिवार लकड़ियां जलाकर सड़क किनारे बैठा था ,और ओढ़ने के लिए उनके पास कुछ भी नही था यह सब देखकर  तुरन्त अपनी गाड़ी को रोका और उनको एक कार्यक्रम में ओढाणी में मिली कम्बलें उन्हें दे कर सर्द हवाओं से बचाने के कोशिश की। प्रधान द्वारा किए गए इस कार्य की सोशल मीडिया पर बहुत सराहना की जा रही है ।  अगर आपके पास भी कोई अतिरिक गरम कपड़े या कंबल है जिन्हें आप थोड़ा पुराना होने पर इस्तेमाल नही कर रहे है,या फिर आवश्यकता से अधिक है तो उन्हें आप गरीब जरूरतमंद लोगों को जरूर दे ।

सोमवार, 13 दिसंबर 2021

शिव प्रधान प्रतिनिधि चंद्रप्रकाश जाणी ने उठाई अकारण विद्युत कटौती के खिलाफ आवाज


 शिव 
 प्रधान प्रतिनिधि चंद्रप्रकाश जाणी ने विद्युत विभाग के आला अधिकारियों की मनमानी और विभाग द्वारा की जा रही अनियमित विद्युत कटौती के विरोध में अपनी आवाज उठाई  और कनिष्ठ अभियंता भिंयाड़ पर गंभीर आरोप लगाए । उन्होंने चेताया कि समय रहते विद्युत सप्लाई सुचारू नही की तो कनिष्ट अभियंता कैलाश थोरी के खिलाफ भिंयाड़ निगम कार्यालय के समक्ष धरना देकर विरोध दर्ज किया जाएगा । गौरतलब है कि काफी समय से भिंयाड़ और नजदीकी क्षेत्र के ग्रामीण असमय की जा रही कटौती की शिकायत विभाग के अधिकारियों से कर रहे है , उन्होंने बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने का हवाला देकर कहा कि कोरोना काल मे 2 साल से बच्चों की शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हुई है और इस बार जब अर्धवार्षिक परीक्षा नजदीक है लेकिन जोधपुर विद्युत वितरण निगम के कर्मचारीयों की मनमाफिक की जा रही बिजली कटौती से बच्चों की परीक्षा की तैयारी पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे है । 

गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

स्वच्छता की सीख देने वाले विद्यालयों की ये हालत ?

 

शिव तहसील की ग्राम पंचायत पोषाल के राजकीय उच्च माद्यमिक विद्यालय पोषाल में बने शौचालयों की गंदगी ब्लॉक के सरकारी शौचालयों की सफाई व्यवस्था को आइना दिखा रही हैं। बच्चों को शिक्षा से मिलने वाली साफ-सफाई की सीख स्कूल में बेमानी हो गई है। स्कूल में शौचालयों की हालत बदतर है।  शिक्षकों के वेतन पर मासिक करोडों से अधिक खर्च करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में सफाई कर्मचारी की कमी है।  सरकार द्वारा विद्यालयों में बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ ही स्वच्छता और साफ सफाई का पाठ पढ़ाया जाता है। वहीं विद्यालय के शौचालय में ही गंदगी का अंबार है और शिक्षक सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठा रहे हैं। यह हाल तब है जब कोरोना जैसा  संक्रामक रोग तेजी फैल रहा हैं।  गंदगी की भरमार कभी भी बच्चों में संक्रामक रोगों का कारण बन सकती है। उसके बाद भी सफाई न कराया जाना अभिभावकों की चिंता बढ़ाए है। सरकार द्वारा शौचालय सफाई एवं अन्य गतिविधियों के खर्च का बजट स्कूल को दिया जाता हैं पर विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता और शिक्षकों के सफाई व्यवस्था पर ध्यान न देने से विद्यालय के शौचालय में बने यूरीनल्स में रखी ईंटे और पास पसरा गंदगी का ढ़ेर व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है
शौचालय में लगाए गए वाल हेंगिंग यूरिनल में रखी ईंटें

पास में एक और यूरिनल में रखा किताब का टुकड़ा
दोनो यूरिनल उपयोग में लिए जाते है पर सफाई की जगह शरारत ।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

फतेह खान तीसरी बार बाड़मेर कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनाए गए , समर्थकों में खुशी की लहर

कांग्रेस ने बाड़मेर जिलाध्यक्ष फतेह खान पर भरोसा जताते हुए तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनाया है। फतेह खान जुलाई 2011 में पहली बार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बने थे। जिला अध्यक्ष के नाम की घोषणा होने के बाद से कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष फतेह खान को फोन पर सोशल साइट्स पर बधाई दे रहे हैं। मारवाड़ कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी के भरोसेमंद माने जाने वाले फतेह खान को हाईकमान ने तीसरी बार जिलाध्यक्ष बना दिया है। फतेह खान का नाम पहले से ही तय माना जा रहा था क्योंकि उनके नाम पर बाड़मेर में किसी भी कांग्रेस के विधायक से लेकर मंत्री को आपत्ति नहीं थी। इसके चलते फतेह खान की घोषणा पहली लिस्ट में कर दी गई है। दावेदारों में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष फतेह खान जिला परिषद के सदस्य भी रह चुके है। फतेह खान के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी विधानसभा 2018 चुनावों के बाद से लगातार बाड़मेर जिले में एक के बाद एक जीत हासिल की है। वर्तमान में फतेह खान के नेतृत्व में ही दो विधानसभा चुनाव लड़े गए है। 2013 विधानसभा चुनाव में जिले की सात सीटों में से 1 सीट जीत पाई थी। इसके बाद पंचायती राज व नगर परिषद चुनावों में जीत दर्ज की थी। वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 6 सीटे जीती थी। नगर परिषद, पंचायती राज चुनाव में पार्टी ने जीत हासिल की थी। हालांकि लगातार दो लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।गौरतलब है कि बीते दो-तीन दशक से बाड़मेर कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद मुस्लिम चेहरा ही रहा है। जिलाध्यक्ष फतेह खान से पहले हाजी उस्मान थे। इससे पहले कांग्रेस के जिलाध्यक्ष स्वर्गीय अब्दुल हादी थे।

शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

उल्टा पड़ता दिख रहा बिल वापसी का दांव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तीन कृषि बिल वापसी की बात सोची होगी, तो कल्पना की होगी कि वे जैसे ही टीवी पर आकर बिल वापसी का ऐलान और किसानों से वापस लौट जाने की अपील करेंगे किसान उनकी जय-जयकार करते हुए वापस लौटने लगेंगे। आनन-फानन में दिल्ली के चारों तरफ की सड़कें खाली हो जाएंगी। उनका गुणगान होगा वगैरह-वगैरह...। मगर जो कल्पना की थी, वैसा कुछ नहीं हुआ बल्कि उल्टा हुआ जिसके बारे में सोचा तक नहीं था। जब किसानों से पूछा गया कि अब तो खुश हैं, वापस जाएंगे या नहीं, तो किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी पर अविश्वास जताते हुए कहा कि उनकी टीवी पर कही बातों पर हम यकीन नहीं करते। बताइये पंद्रह लाख रुपये मिले किसीको? धन्यवाद देना और जयकारे लगाना तो दूर किसानों ने उन्हें ही झूठा और वादाफरामोश साबित कर दिया। तीनों कृषि बिल वापसी के ऐलान के बाद भी किसानों का आंदोलन में डटे रहना मोदी की साख के लिए इतना ज्यादा घातक है कि सोचा भी नहीं जा सकता।

लोग सवाल उठाएंगे कि अब तो कृषि बिल वापसी का ऐलान हो गया, अब किसान वापस क्यों नहीं जा रहे। जवाब मिलेगा कि इन्हें प्रधानमंत्री की ज़ुबान पर भरोसा नहीं है, जब तक संसद में बिल वापस नहीं हो जाता तब तक हम नहीं हिलेंगे। यानी किसानों को डर है कि ये शख्स बिल वापसी का ऐलान करके हमें घर भेज सकता है, हमारा आंदोलन खत्म करा सकता है और फिर बिल वापस भी नहीं लेगा। प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता पर इससे बड़ा सवाल कोई हो ही नहीं सकता कि वे खुद आए, खुद ऐलान किया, तब भी किसान कह रहे हैं कि नहीं पहले संसद में वापस लो, तुम्हारा क्या भरोसा। और उनके पास दलील यह है कि पहले के वादे कौनसे पूरे हुए?

भाजपा और संघ के लिए यह चिंता का सबसे बड़ा विषय होना चाहिए कि उनके सबसे बड़े पोस्टर बॉय की इमेज पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। उसे जनता फरेबी और झूठा समझने लगी है। उसकी किसी बात पर किसी को भी विश्वास नहीं है। तो सबसे पहली बात यह कि बिल वापसी के ऐलान का वैसा स्वागत नहीं हुआ जैसे स्वागत की अपेक्षा थी। देश की जनता यही अनुमान लगा रही है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार का खतरा टालने के लिए यह दांव चला गया है।

दूसरा सवाल यह कि क्या बिल वापसी के ऐलान के बाद यूपी, पंजाब, उत्तराखंड और हरियाणा में भाजपा नेताओं का विरोध कम हो जाएगा? फिलहाल कई जगहों पर भाजपा नेताओं की हालत अछूत की सी है। उन्हें शादियों तक में नहीं बुलाया जा रहा। कोई भी समारोह हो, विरोध करने किसान पहुंच जाते हैं। लखीमपुर में और क्या हुआ था? कृषि बिल वापसी के बाद क्या भाजपा के नेता जनता के बीच जा पाएंगे? इसका जवाब आने वाले कुछ दिनों में हमें मिलने वाला है।

बिल वापसी का दांव उल्टा इसलिए भी पड़ा क्योंकि किसानों की मांग केवल बिल वापसी ही नहीं थी। अगर घोषणा करने आए थे तो कहना था कि सभी मांगे मान रहे हैं। एमएसपी वाली मांग, बिजली अधिनियम में बदलाव की मांग समेत सभी मांगे मानते हुए उन्हें यह ऐलान भी करना था कि किसानों पर लगाए गए सभी केस वापस लिये जाएंगे। उन्होंने होमवर्क नहीं किया। किसानों के मन को नहीं समझा। कम से कम इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले किसानों को भरोसे में लेते, चर्चा करते। मगर वो सब तो जैसे आता ही नहीं है।

किसान जानते हैं कि इतना बड़ा और ऐसा एतिहासिक आंदोलन बार बार खड़ा नहीं होता। सरकार एक बार झुकी है तो सारी मांगे मनवानी ही होंगी। इस समय सरकार को जितना दबाया जा सकता है, उतना और कभी नहीं। इस दांव को इसलिए भी हम उल्टा पड़ना कह सकते हैं क्योंकि वो कैडर नाराज है, जो मोदी को भगवान से भी दो उंगल ऊपर समझता है। उस मासूम कैडर को यही समझाया गया था कि ये किसान नहीं गुंडे हैं और उसकी तकलीफ है कि आप गुंडों के समक्ष क्यों झुके? वो निराशा में बागी हो रहा है और उसे संभालना मुश्किल पड़ रहा है।

मोदी के पिछले तमाम फैसलों की तरह यह फैसला भी ब्लंडर ही है। फायदा कम और नुकसान ज्यादा। ना किसान खुश, ना कैडर। किसान झूठा कह रहा है और कैडर कायर। छवि धूमिल हुई सो अलग। फर्क यह है कि अब तक उनके गलत निर्णयों से देश को नुकसान होता रहा है। यह पहली बार है जब सीधे भाजपा और खुद उन्हें नुकसान हो रहा है।